Saturday, May 9, 2009

कविता /मेरी माँ

मदर्स डे पर एक कविता

मेरी माँ

मेरी माँ ओ स्नेहमयी माँ
कैसे तेरा गुण-गान करूँ मैं
पौधा हूँ तेरी बगिया का
शत-शत तुझे प्रणाम करू मैं ॥
तूफानों से लडी हमेशा
हँस-हँस कर मेरे ही लिऐ
नो मास तक की थी तपस्या
तूनें माँ मेरे ही लिऐ
अपने रक्त का दूध बनाकर
सींचा था मेरे जीवन को
तेरे रक्त की बूँद-बूँद का
कैसे यहाँ बखान करूँ मैं
पौधा हूँ तेरी बगिया का.............॥
इन्द्रासन सम गोद तेरी है
अन्य सभी सुख झूँठे हैं
फीके जग के मधुर बोल
माँ तेरी बोल अनूठे हैं
अपनी चिन्ता छोड सदा ही
सवांरा था मेरे जीवन को
मुख से कुछ न बोला मैं
तू समझ गई मेरे मन को
तेरी तीव्र परख शक्ति का
कैसे यहाँ बखान करू मैं
पौध हूँ तेरी बगिया का..............॥
पैरों चलना सीखा ही था
डगमग करता चलता था
उल्टे-सीधे कदम धरा पर
पडे और मैं गिर जाता था
तेरे हृदय में जाने कैसा
कोलाहल सा मच जाता था
उठा मुझे तू ममतामयी
बाँहों में भर लेती थी
धूल पौछना छोड प्यार की
वर्षा सी कर देती थी
तेरी ममता की समता
जग में किससे आज करू मैं
पौधा हूँ तेरी बगिया का.................॥
धुँधली स्मृति जागृत होते ही
मेरा तन मन थर्राता है
देख तेरा अदभुत साहस
विस्मय में यह पड जाता है
भूखी रहती अगर कभी तू
मेरा पेट न खाली रहता
कैसी भी हो विपदा तुझपर
तेरा मुख कुछ भी न कहता
ओ सत्साहसनी,शक्तिमूर्ति
तेरी किससे तुलना करूँ मैं
पौधा हूँ तेरी..............................॥
ममता के आँचल के वे दिन
सुख के दिन थे
मेरे लिऐ बचपन के वे दिन
स्वर्णमयी दिन थे
आज याद बचपन आता
यौवन को सूना बतलाता
सब सामंजस, सब यश-अपयश
नाशवान है
अक्षय रहेगी कीर्ति तेरी
स्वार्थी जग में किन शब्दों से
तेरी महिमा बखान करूँ मैं
पौधा हूँ तेरी बगिया का माँ
शत-शत तुझे प्रणाम करूँ मैं ॥

4 comments:

  1. मदर्स डे पर सुदर प्रस्‍तुतीकरण .. दुनियाभर की मांओं को मदर्स डे की बधाई और शुभकामनाएं।

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  2. wah yogesndra ji,man par anupam rachna. badhai.

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  3. मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं.

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  4. अच्छा लिखा बधाई
    श्याम सखा श्यामhttp://gazalkbahane.blogspot.com/ कम से कम दो गज़ल [वज्न सहित] हर सप्ताह
    http:/katha-kavita.blogspot.com/ दो छंद मुक्त कविता हर सप्ताह कभी-कभी लघु-कथा या कथा का छौंक भी मिलेगा
    सस्नेह
    श्यामसखा‘श्याम

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