अपनाघर आश्रम कोटा, जो कि लावारिस मानसिक विमंदितों का एक पुनर्वास गृह है ,आजकल मानसिक विमंदितों की सेवा का पुनीत कार्य तो किया ही जा रहा है साथ ही जो आश्रम के सेवाभावी सेवाकर्मियों के प्यार ,चिकित्सा एवं सेवा से यहाँ रहने वाली विमंदित महिलाओं ,जिन्हें प्रभु जी कहा जाता है ,के स्वस्थ होने पर अपने धर परिवार के विषय में जानकारी प्राप्त कर उन्हें उनके परिवार से मिलाने का नेक कार्य भी किया जा रहा हैा
कोटा में यह आश्रम 22जनवरी 2012 में नारी निकेतन नान्ता के परिसर में अस्थाई रुप से प्रारम्भ हुआ था। जहाँपर लावारिस विमंदित महिलाओं को आश्रय देने के साथ ही उनकी देखभाल एवं सेवा-चिकित्सा का कार्य प्रारम्भ किया गया और घीरे घीरे इन महिला प्रभुजी की संख्या पचास को पार कर गयी। आश्रम केे संस्थापक डा बी एम भारद्वाज एवं संयोजक राजेश शर्मा तथा अपनाघर की कार्यकारिणी के प्रयास से राजकीय पोलीटेक्निक कालेज के जीर्णशीर्ण पड़े होस्टल को राज्य सरकार से नियमानुसार लेकर जनसहयोग से इसका कायाकल्प किया गया।कोटा में अपनाघर आश्रम की स् थापना के ठीक पाँच साल बाद 22जनवरी 2017को पोलीटेक्निक कालेज के होस्टल के परिसर में स् थानान्तरित किया गया। इसके इस नये भवन में प्रारम्भ करने के समय यहाँ लगभग 60 महिला प्रभुजी रह रही थी,जिनकी संख्या अब बढ़कर 100 को पार कर रही है।
अपनाघर आश्रम में इन बेसहारा लोगों की सेवा का कार्य मुख्यरुप से वहाँके सेवाकर्मी बड़े ही समर्पण भाव से करते हैं।जिसका ही परिणाम है कि इस वर्ष जनवरी 2017से दिसम्बर माह तक 60 महिला प्रभुजी जोकि यहाँ उपलब्ध चिकित्सा के परिणाम स्वरुप अपनी पारिवारिक जानकारी देने में सक्षम हो सकी।इन महिला प्रभु जी से प्राप्त जानकारी के आधार पर ंअपनाघर आश्रम द्वारा खोजबीन कर उनके परिवारों को खेाजा गया। किसी के परिवार को खोजना वास्तव में एक कठिन कार्य है। वह भी तब ,जबकि पाँच-छः वर्षों से किसीके परिवार के विषय में कोई जानकारी ही नहीं हो। कुछके परिजन तो यह सोच चुके थे कि उनके परिवार का सदस्य अब इस दुनिया में ही नहीं है।
ऐसेमें अपनाघर आश्रम से जुड़े दो युवा ऊर्जावान सेवाकर्मी अब्दुल कादिर और सुरभि वर्मा, जोकि प्रभुजनों की चिकित्सा सेवा कार्य तो करते ही हैं साथ ही उनके स्नेहिल व्यवहार से कुछ प्रभुजन इस स्थिति में आ सके कि वे अपने परिवार के बारे में जानकारी दे पाये। अब्दुल कादिर और सुरभि ने उनके परिवारों से सम्पर्क कर यह सुनिश्चित किया कि उनके द्वारा बताई जानकारी वास्तव में सही है।
इन दोनों सेवासाथियों ने मध्यप्रदेश की गंगाबाई,सुनीता,रामकिशोर और देवली को उनके परिवारों से मिलाया तो बिहार की सुलेखा और लाली को उनके परिवार से मिलाया।वहीं उत्तर प्रदेश की सरिता,सोनुदेवी,गुड़िया,और गीता कोउनके परिवार तक पहुँचाया।
7 नवम्बर 2013 से आश्रम में रह रही मुमताज जो कि शाहपुरा निवासी है 6वर्षों से मानसिक स्थिति सही नहीं होने के कारण परिवार से बिछड़ गयी थी गत दिनों उनके पति और पुत्र
को सूचना देने पर वे आश्रम आये तो पति और पुत्र से मिलन का दृष्य वास्तव में इतना मार्मिक हो गया था कि सभी की आँखे नम हो गयी थी।
विगत चार साल में यहाँ रह रही मुमताज वास्तव म ेंअपना घर के परिवार की सदस्य ही थी जिसके जाने पर एक तरफ विछोह का दुख तो दूसरी ओर खुशी भी थी कि वह छः साल बाद अपने परिवार के साथ जा रही थी।
इसी प्रकार दक्षिण भारत त्रिची की मरियम और हैदराबाद की श्रीलक्ष्मी को परिवार से मिलाया।अहिन्दी भाषी क्षेत्र के प्रभु जी के साथ कभी कभी भाषा की परेशानी आती है लेकिन उनकी भाषा की जानकारी रखने वाले लोगों के माघ्यम से प्रभुजनेंा की बात समझने का प्रयास किया जाता है।इनके साथ ही राजस्थान की किरण,सुलेखा,वसुन्धरा,रीना,कोमल,कान्तीबाई,मोनिका के अतिरिक्त अविनाश,रामकिशन,राकेश,राजू अब्दुल मुकेंश आदि कुल 60 प्रभुजी को इस सााल उनके परिवार वाले ले गये। लेकिन अभी भी अपनाघर में 6प्रभु जी भवानी,उर्मिला,संजु,संगीता,संतोष सुमन जो उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश तथा कोटा के ऐसे हैं जिन्हें उनके परिवार वालों ने अपनाने से इन्कार कर दिया।मगर अपनाघर आश्रम मन से ऐसे सभी मानसिक विमंदित,असहाय,लावारिस लोगों को सहारा देने में कभी पीछे नहीं हटने का संकल्प लिए निरन्तर सभीको गले लगाकर अपनाता रहेगा।
डा योगेन्द्र म्णि कौशिक
सचिव
अपनाघर आश्रम सेवासमिति,कोटा
पताः 1/256 गणेश तालाब,कोटा 324009
मो0 9352612939