Monday, December 12, 2011
अन्ना नहीं ये आँधी है
बिन लाठी का गाँधी है
भ्रष्ट्राचार पे लगेगा अंकुश
सबने आशा बाँधी है ॥
गाँधी ने स्वराज दिलाया
हमें लगा सुराज है आया
हर हाथों को काम मिलेगा
नेकी का ईनाम मिलेगा
हर घर में खुशियां बोयेगें
भूखे न बच्चे सोऐगें
खेतों में खुशहाली होगी
हर घर में दीवाली होगी
सपनों में अब तक जीते थे
प्यास लगी आँसू पीते थे
जनसेवक बन गये शासक
जनता उनकी बाँदी है
भ्रष्ट्राचार पे लगेगा अंकुश
सबने आशा बाँधी है ॥
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