Friday, March 20, 2009

दुल्हा बिकाऊ है...? ? ?

दुल्हा बिकाऊ है ? ? ?


हाँ हम लड़के वाले हैं
यह क्या आपके पैरों में छाले हैं
शायद आप लड़की वाले हैं
बिल्कुल मत घबराइये
इधर चले आइये
मनपसंद दुल्हा यहाँ से ले जाइऐ

आई.ए.एस.या आर.ए.एस.चाहिऐ
मात्र15-20 लाख दे जाइऐ
नहीं चाहिऐ
डॉक्टर या इंजीनियर ले जाइऐ
आपको थोड़ी परेशानी तो होगी
पर लड़की का भाग्य खुल जाऐगा
खर्चा मात्र 12-15 हजार आऐगा

क्या कहा मामला जमा नहीं
कुछ कम दे दीजिऐ
हमारे पास वकील भी हैं
इन्हें ले लीजि

पसंद तो आया
मगर दाम नहीं भाया
कोई बात नहीं थोड़ा नीचे उतर जाते हैं
ये सरकारी दफ्तर के शाही बाबू हैं
हलाँकि बे काबू हैं
अपने अफसर के भी वश् में नहीं आते
लेकिन आप चिंता मत कीजिऐ
सब सीधे हो जाऐगें
इनके लिऐ मात्र हम 8हजार लगाऐगैं

यह क्या ,आप तो घबरागये
पसीने से नहा गये
थोड़ा कम दे दीजिऐ
फेक्ट्री का फिटर या आपरेटर ले लीजिऐ
इससे भी सस्ते
चौकीदार और चपरासी भी हैं

इस अध्यापक के विषय में
आपको क्या बताऐं
बुद्धी जीवी प्राणी है
महा ज्ञानी है
इसने न जाने कितने
ज़ाहिलों को इंसान बनाया
ऊँची से ऊँची कुर्सी तक पहुँचाया
लेकिन स्वयं अध्यापक ही रहता है
छात्रों का आक्रोश और उद्दण्डता तक
शालीनता सहता है
आप इसे आजमा कर तो देखिये
आपकी बेटी कितनी भी तीखी बाण
क्यों न हो
बेचारा सब सह लेगा


अच्छी तरह सोच लीजिऐ
यदि कोई पसंद न आये
तो इसे ले लीजिऐ
इसका दाम भी हम क्या बताऐं
जो उचित समझें दे दीजिऐ
वैसे यह बड़ा दयालू है
आप चाहें तो मुफ्त में
ले लीऐ

कवि या साहित्यकार आपको क्या भाऐगे
क्योंकि
इनके विषय में जब भी बात चलाई
जान के लाले पड़ गये
कई बार तो लोग
राशन-पानी लेकर
सीने पर चढ़ गये
हालाँकि बेचारा सीधा साधा
सस्ता जीव है
फिर भी सब कतराते हैं
मुफ्त में लेने से भी घबराते हैं

सांसद ,मंत्री या उनके बेटे
आपको क्या रास आयेगें
उनके बारे में सुनोगे
तो आपके होश ही उड जाऐगे ?
एक तो उनमें कुवारों का स्टॉक
वैसे ही कम है
और क्योंकि वे दहेज विरोधी
आंदोलन के सक्रीय सदस्य हैं
इसलिऐ
गिनने की कोई आवश्यकता नहीं
आँख बंद कर वजन के बराबर
चुपचाप दे जाइये
मनवांछित फल पाइऐ
अपने पूरे खानदान की गरीबी मिटाइऐ

कमाल है आपको कोई पसंद नही आया
यह तो स्टण्डर्ड रेट है
फिर भी नहीं भाया
तो क्या मुफ्त में दुल्हा चाहते हैं ?
आपको मालूम है यहाँ हर माल बिकाऊ है
टिकाऊ की कोई गारंटी नहीं
फिर भी काम चलाऊ है

लगता है देश का नौजवान
चंद सिक्कों के आगे नतमस्तक है
इसलिऐ देश की बालाओं
तुम्हारे
अंतरमन पर द्स्तक है
जागो अब तो जागो
छेड़ दो दहेज रूपी दानव के विरुद्ध संधर्ष
शायद तभी नोटों की खनक से
नपंसक होता नौजवान जागेगा
और दहिज रूपी दानव
हमेशा के लिऐ भागेगा........? ? ?

डॉ.योगेन्द्र मणि

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