Monday, July 13, 2009

कुर्सी //व्यंग्य

कुर्सी

कुर्सी बहुत महान है
अफसर से वर्कर तक
नेता से अभिनेता तक
प्रत्येक प्राणी
इसका गुलाम है ॥

बड़ी कुर्सी के आगे
छोटी कुर्सी की साजिश
प्रायः नाकाम है ॥

राजनीतिक भाषा में
भारतीय परिभाषा
कुर्सी की प्रत्येक
टांग से चिपके हैं
करोड़ों अरमान ॥

कुछ सत्ता के बीमार
आदत से लाचार
कुर्सी की टांग खींचना है
जिनका नैतिक दायित्व
ताकि कुर्सी डगमगा जाऐ
कुर्सी वाला
जमीन पर आ जाऐ
और किसी भी तरह कुर्सी
अपने कब्जे में आ जाऐ ॥


डॉ. योगेन्द्र मणि

1 comment:

  1. कुर्सी देवी की महिमा अपरंपार!!

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