Friday, March 13, 2009
व्यंग्य कविता/हवाई नारे
हवाई नारे दीवार पर लिखा था
यहाँ थूकना मना है
एक सूटिड़-बूटिड़ पढ़े लिखे लगने वाले
श्रीमान ने पढ़ा-
और पान की जुगाली कर
लिखे हुऐ पर ही थूक दिया
हमने जागरुक नागरिक होने के नाते
उन्हें टोका,श्रीमान
आपने पढ़ा नहीं यहाँ थूकना मना है
वरना जुर्माना लगेगा
वह तपाक से बोला-
जुर्माना लगाऐगा कौन...
तेरा बाप.....?
वैसे भी तेरा पेट क्यों दुखता है
तू भी थूक.....!
उधर देखो दीवार पर लिखा है
लिखना माना है
यह आदेश मना करने वाले ने लिखा है
पूरा हिन्दुस्तान
इन्हीं नारों पर टिका है
आपका और हमारा वोट तक
हवाई नारों में बिका है.....?
डॉ.योगेन्द्र मणि
यहाँ थूकना मना है
एक सूटिड़-बूटिड़ पढ़े लिखे लगने वाले
श्रीमान ने पढ़ा-
और पान की जुगाली कर
लिखे हुऐ पर ही थूक दिया
हमने जागरुक नागरिक होने के नाते
उन्हें टोका,श्रीमान
आपने पढ़ा नहीं यहाँ थूकना मना है
वरना जुर्माना लगेगा
वह तपाक से बोला-
जुर्माना लगाऐगा कौन...
तेरा बाप.....?
वैसे भी तेरा पेट क्यों दुखता है
तू भी थूक.....!
उधर देखो दीवार पर लिखा है
लिखना माना है
यह आदेश मना करने वाले ने लिखा है
पूरा हिन्दुस्तान
इन्हीं नारों पर टिका है
आपका और हमारा वोट तक
हवाई नारों में बिका है.....?
डॉ.योगेन्द्र मणि
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wah yogendra ji yatharth likha hai, badhai
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