Monday, April 20, 2009
संसद
संसद
संसद वह रमणीय स्थल है
जहाँ सांसद नामक सभ्यजीव दम भरते हैं
लोकतंत्र,समाजवाद और गाँधीवाद के
वहाँ पड़े शवों की निगरानी करने का
मगर आये दिन फाडे जाते हैं
इन राष्ट्रीय शवों के कफन
लगाई जाती है अनुशासन की गुहार
आपस में की जाती है
गालियों घूंसों और जूतों की बौछार
जहाँ हर सत्र में
बहुमत(..?) द्वारा बनाये जाते हैं
बहुमत को कुचलने के लिऐ
नित नये कानून
जिनकी एक ही मंजिल है
एक ही योजना है
कैसे उतारी जाऐ
जनता के शरीर से ऊन........??
डॉ.योगेन्द्र मणि
संसद वह रमणीय स्थल है
जहाँ सांसद नामक सभ्यजीव दम भरते हैं
लोकतंत्र,समाजवाद और गाँधीवाद के
वहाँ पड़े शवों की निगरानी करने का
मगर आये दिन फाडे जाते हैं
इन राष्ट्रीय शवों के कफन
लगाई जाती है अनुशासन की गुहार
आपस में की जाती है
गालियों घूंसों और जूतों की बौछार
जहाँ हर सत्र में
बहुमत(..?) द्वारा बनाये जाते हैं
बहुमत को कुचलने के लिऐ
नित नये कानून
जिनकी एक ही मंजिल है
एक ही योजना है
कैसे उतारी जाऐ
जनता के शरीर से ऊन........??
डॉ.योगेन्द्र मणि
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सांसद नामक सभ्यजीव -बस, यहीं कुछ गलत लिख गया दिखता है. :)
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