Thursday, April 30, 2009
आदमी को कहाँ- कहाँ खोजें.....
आदमी को कहाँ-कहाँ खोजें
यहाँ सब खोखले घर बार नजर आते हैं ॥
हाय जम्हूरियत है ये कैसी
गोलियों के चलन भरमार नजर आते हैं ।।
इतने चुप क्यों हैं मजरा क्या है
आप मजबूरी का अवतार नजर आते हैं ।।
क्या हुआ पोलियो अरमानों को
आप किस्मत से ही लाचार नजर आते हैं ॥
उसको सज़दा करें या ठुकराऐं
खुदा के वेष में बटमार नजर आते हैं ।।
लहू है गर्म जिस्म ठंड़ा क्यों
दिलो दीमाग से बीमार नजर आते हैं ॥
डॉ.योगेन्द्र मणि
आदमी को कहाँ-कहाँ खोजें
यहाँ सब खोखले घर बार नजर आते हैं ॥
हाय जम्हूरियत है ये कैसी
गोलियों के चलन भरमार नजर आते हैं ।।
इतने चुप क्यों हैं मजरा क्या है
आप मजबूरी का अवतार नजर आते हैं ।।
क्या हुआ पोलियो अरमानों को
आप किस्मत से ही लाचार नजर आते हैं ॥
उसको सज़दा करें या ठुकराऐं
खुदा के वेष में बटमार नजर आते हैं ।।
लहू है गर्म जिस्म ठंड़ा क्यों
दिलो दीमाग से बीमार नजर आते हैं ॥
डॉ.योगेन्द्र मणि
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that sounds great!
ReplyDeleteshahron mein makan the
makan ke sath ohde the
bahut khoja
par aadmi nahi mila...!
maza a gaya....
बहुत सुन्दर रचना है ।बधाई स्वीकारें।
ReplyDeletevery true.
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